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अम्मऩ् - अयिकिरि नन्तिऩि |
1. अयिकिरि नन्तिऩि नन्तित मेतिऩि विच्व विऩोतिऩि नन्तनुते किरिवर विन्त्य चिरोति निवासिऩि विष्णु विलासिऩि जिष्णुनुते पकवति हे चितिकण्ट कुटुम्पिऩि पूरिकुटुम्पिऩि पूरिक्रुते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 2. सुरवर वर्षिणि तुर्तर तर्षिणि तुर्मुक मर्षिणि हर्षरते त्रिपुवऩ पोषिणि चङ्कर तोषिणि किल्पिष मोषिणि कोषरते तऩुज निरोषिणि तितिसुत रोषिणि तुर्मत चोषिणि सिन्तुसुते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 3. अयि जकतम्प मतम्प कतम्पवऩ प्रिय वासिऩि हासरते चिकरि चिरोमणि तुङ्क हिमालय च्रुङ्क निजालय मत्यकते मतुमतुरे मतुकैटप कञ्जिऩि कैटप पञ्जिऩि रासरते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 4. अयि चतकण्ट विकण्टित रुण्ट वितुण्टित चुण्ट कजातिपते रिपुकज कण्ट वितारण चण्ट पराक्रम चुण्ट म्रुकातिपते निजपुज तण्ट निपातित कण्ट विपातित मुण्ट पतातिपते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 5. अयिरण तुर्मत चत्रु वतोतित तुर्तर निर्जर चक्ति प्रुते चतुर विचार तुरीण महाचिव तूतक्रुत प्रमतातिपते तुरित तुरीह तुराचय तुर्मति ताऩव तूत क्रुतान्तमते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 6. अयि चरणाकत वैरिव तूवर वीर वरापय तायकरे त्रिपुवऩ मस्तक चूलविरोति चिरोति क्रुतामल चूलकरे तुमितुमि तामर तुन्तुपि नात महோ मुकरीक्रुत तिङ्मकरे जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 7. अयि निजहुङ्क्रुति मात्र निराक्रुत तूम्र विलोचऩ तूम्रचते समरविचोषित चोणितपीज समुत्पव चोणित पीजलते चिवचिव चुम्प निचुम्प महाहव तर्प्पित पूत पिचाचरते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 8. तऩुरऩु सङ्क रणक्षण सङ्क परिस्क़्पुर तङ्क नटत्कटके कऩक पिचङ्क प्रिषत्क निषङ्क रसत्पट च्रुङ्क हतापटुके क्रुत चतुरङ्क पलक्षितिरङ्क कटत्पहुरङ्क रटत्पटुके जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 9. जय जय जप्य जये जय चप्त परस्तुति तत्पर विच्व नुते पऩ पऩ पिञ्जिऩि पिङ्क्रुत नूपुर सिञ्जित मोहित पूतपते नटित नटार्त्त नटी नट नायक नाटित नाट्य सुकाऩ रते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 10. अयि सुमऩ: सुमऩ: सुमऩ: सुमऩ: सुमऩोहर कान्तियुते च्रित रजऩी रजऩी रजऩी रजऩी रजऩीकर वक्त्र व्रुते सुनयऩ विप्रमर प्रमर प्रमर प्रमर प्रमरा तिपते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 11. सहित महाहव मल्ल मतल्लिक मल्लि तरल्लक मल्लरते विरचित वल्लिक पल्लि कमल्लिक जिल्लिक पिल्लिक वर्कव्रुते चितक्रुत क़्पुल्लस मुल्लसि तारुण तल्लज पल्लव सल्ललिते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 12. अविरलकण्ट कलऩ्मत मेतुर मत्त मतङ्कज राजपते त्रिपुवऩ पूषण पूतकलानिति रूप पयोनिति राजसुते अयिसुत तीजऩ लालस माऩस मोहऩ मऩ्मत राजसुते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 13. कमल तलामल कोमल कान्ति कला कलितामल पाललते सकल विलास कलानिलय क्रम केलिचलत्कल हम्चकुले अलिकुल चङ्कुल कुवलय मण्टल मौलिमिलत् पकुलालिकुले जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 14. कर मुरलीरव वीजित कूजित लज्जित कोकिल मञ्जुमते मिलित पुलिण्ट मऩोहर कुञ्जित रञ्चित चैल निकुञ्जकते निजकुणपूत महा चपरीकण सत्कुण सम्प्रुत केलितले जय जय हे महिषाचुर मर्तिऩि रम्यक पर्तिऩि चैलसुते 15. कटितटपीत तुकूल विचित्र मयूक तिरस्क्रुत चन्त्ररुचे प्रणत सुरासुर मौलि मणिस्क़्पुर तऩ्चुल सऩ्ऩक चन्त्ररुचे जितकऩकाचल मौलि पतोर्जित निर्पर कुञ्जर कुम्पकुचे जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 16. विजित सहस्र करैक सहस्र करैक सहस्र करैकनुते क्रुत सुर तारक सङ्कर तारक सङ्कर तारक सूऩुसुते सुरत चमाति समाऩ समाति समाति समाति सुजातरते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 17. पतकमलम् करुणा निलये वरिवस्यतियो स्ऩुतिऩम् सुचिवे अयि कमले कमला निलये कमला निलय सकतम् नपवेत् तव पतमेव परम्पतमित् यऩु चीलयतो ममकिम् न चिवे जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 18. कऩकल सत्कल सिन्तुजलैरऩु सिञ्चिनुते कुण रङ्कपुवम् पजति सकिम् नचची कुचकुम्प तटी परिरम्प सुकाऩुपवम् तव चरणम् चरणम् करवाणि नतामरवाणि निवासिचिवम् जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 19. तव विमलेन्तु कुलम् वतऩेन्तुमलम् सकलम् नऩु कूलयते किमु पुरहूत पुरीन्तुमुकी सुमुकीपिरसॆळ विमुकी क्रियते ममतु मतम् चिवनामतऩे पवती क्रुपया किमुत क्रियते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते 20. अयि मयि तीऩतयालु तया क्रुपयैव त्वया पवित्वयमुमे अयि जकतो जऩऩी क्रुपयासि यतासि ततासऩु मितासिरते यतुचित मत्र पवत्युररी कुरुता तुरुता पमपाकुरुते जय जय हे महिषासुर मर्तिऩि रम्य कपर्तिऩि चैलसुते |
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46 - अङ्कयऱ्कऩ्ऩि पामालै (अम्मऩ् )
17 - अयिकिरि नन्तिऩि (अम्मऩ् )
55 - ओम् जय जकतीष हरे (अम्मऩ् )
18 - चॆल्लात्ता चॆल्ल मारियात्ता (अम्मऩ् )
49 - तिरु विळक्कै एऱ्ऱि वैत्तोम् (अम्मऩ् )